नैनीताल ::- आजादी के अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत द्वारा जी-20 की अध्यक्षता के महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक अवसर पर अपना योगदान देने के लिए मंगलवार को कुमाऊँ विश्वविद्यालय द्वारा यूजीसी-एचआरडीसी सभागार में “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान- जलवायु परिवर्तन” विषय पर एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसमें प्राध्यापकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के साथ-साथ देश के मूर्धन्य शिक्षाविदों ने प्रतिभाग किया।
वैश्विक संदर्भ में वैज्ञानिक मुद्दों की सार्वजनिक प्रशंसा एवं विद्यार्थियों में वैज्ञानिक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के रूप में माननीय स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री डॉ.धन सिंह रावत, विशिष्ट अतिथि विधायक सरिता आर्या एवं कुलपति प्रो.एनके जोशी द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किया गया।
संगोष्ठी का शुभारम्भ करते हुए मुख्य अतिथि स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने का आह्वान करते हुए कहा कि पृथ्वी पर जलवायु के स्वरूप में परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है। प्राकृतिक कारकों के अलावा, मानव गतिविधियों ने भी इस परिवर्तन में प्रमुख योगदान दिया है। मनुष्य प्राकृतिक कारणों को तो नियंत्रित नहीं कर सकता लेकिन वह कम से कम यह तो सुनिश्चित जरूर कर सकता है वह वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाली अपनी गतिविधियों को नियंत्रण में रखे ताकि धरती पर सामंजस्य बनाया रखा जा सके। उन्होंने कहा कि देश को पूर्ण विश्वास है कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की “जय जवान – जय किसान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान” की अवधारणा के अनुरूप अमृत काल के 25 वर्षों में भारत विज्ञान और तकनीक के दम पर दुनिया में अग्रणी देश होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एनके जोशी ने कहा कि 1 दिसंबर भारतीय इतिहास में एक उल्लेखनीय दिन बन गया है क्योंकि भारत को अपनी धरती पर G20 की मेजबानी करने का अवसर मिला है। दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं इस G20 का हिस्सा होंगी जो वैश्विक जीडीपी के 85 प्रतिशत , अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 75प्रतिशत और दुनिया की दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह सम्मान की बात है और प्रत्येक भारतीय के लिए इस आयोजन को गौरवान्वित करने की जिम्मेदारी भी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि हर पीढ़ी को इस ग्रह को विरासत में मिली तुलना में बेहतर आकार में छोड़ना चाहिए। इसलिए G20 प्रेसीडेंसी की थीम “वसुधैव कुटुम्बकम” या “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” के रूप में तय की गई है। यह विषय जलवायु कार्यवाही पर भी लागू होता है जो समय की अंतिम आवश्यकता है। विद्यार्थी ही राष्ट्र की वास्तविक संपत्ति होते हैं। G20 छात्रों की भागीदारी को सुगम बनाएगा; विश्वविद्यालयों को छात्रों को स्थानीय इतिहास और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में प्रशिक्षित करना चाहिए। ये प्रशिक्षित छात्र बैठकों का हिस्सा बन सकते हैं; वे बैठकें आयोजित करने और विदेशी प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता पूर्व निदेशक हिमालयन फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट डॉ.एसएस सामंत ने कहा कि हमारे चारों ओर की वनस्पति, पेड़-पौधों तथा जीव जन्तु सभी मिलकर हमारा जैवमंडल बनाते हैं। इन्हीं सबके कारण हमारी प्रकृति सन्तुलन में रहती है। वैश्विक तापन के परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन से जैवविविधता पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन न केवल जैवविविधता पर असर डालता है अपितु जैवविविधता का क्षरण ऋतु परिवर्तन का कारण बनता है। इस प्रकार हम अपने क्रिया-कलापों से वैश्विक जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में काम आने वाले साधनों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पौधों और जीवों की प्रजातियों, प्राकृतिक वासों और आनुवांशिकी में जैवविविधता होने से पारिस्थितिकी तंत्रों को स्वस्थ बनाए रखने, उनकी उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन जैसे ख़तरों से जूझने में मदद मिलती है।
संगोष्ठी को विशिष्ट अतिथि विधायक सरिता आर्य ने सभी को शुभकामनाएं दी तथा कहा की जी 20लोगो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक करने के महत्पूर्ण पहल है निदेशक शोध एवं प्रसार विभाग प्रो.ललित तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए जी 20तथा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रो.सुषमा टम्टा निदेशक आई आई सेल नए सभी का धन्यवाद किया । सेमिनार में प्रो.एनके जोशी तथा डॉक्टर सामंत को पुस्पगुच तथा शॉल उड़ाकर एवम पौधा भेट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में निबंध लेखन पर 22 शोधार्थियों को प्रमाण पत्र तथा पुरुस्कार वितरित किए गए।
इस दौरान निबंध में वसुंधरा लोढियाल ने प्रथम , शाबाज अली ,कविता जोशी ने द्वितीय तथा खुशबू दसौनी को तृतीय पुरूस्कार मिल । इस अवसर पर प्रो.नीलू लोधियाल ,प्रो.नीता बोरा शर्मा ,प्रो.गीता तिवारी ,प्रो.एलएस लोधियाल ,प्रो.संजय पंत,प्रो.गिरीश रंजन तिवारी ,प्रो लता पांडे ,प्रो.एसएस बरगली, डॉक्टर महेश आर्य ,डॉ. विजय कुमार ,प्रो. अनिल बिष्ट ,डॉ. संतोष कुमार , डॉ. हर्ष चौहान ,डॉ.नवीन पांडे , डॉ.दीपाक्षी जोशी ,डॉ. हेम, डॉ.बृजेंद्र समेत अन्य लोग मौजूद रहें।