Saturday, June 3, 2023
No menu items!
Google search engine
Homeउत्तराखंडअंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दीप नेगी द्वारा लिखी गई 'नारी म्यरा पहाड...

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दीप नेगी द्वारा लिखी गई ‘नारी म्यरा पहाड की’ की स्वचरित कविता

नारी म्यरा पहाड की

पैली सोर मोल तब गयी घासक,
लाखडु का भारा लैक,पकाइ रवड्दा रातक,
रवड्दा पकी गैन,खाणु भी खयाली थे,
खोली किताब,पर लैगी थक,
वन्गदा-वन्गदा सेगी थे!


व्हे बडी तब भुमाता,पहुचंगे अठारोहं साल,
खोजी नौन्याल,करयाली ब्यो,
हैका घर जैक भी,दुबारा बौडी दिन पुराणा
सोर मोल फिर घासक,
लाखडु का भारा लैक,पकाइ रवड्दा रातक,


यनु प्राण पायी तीं देवी न,
रतव्याणी हैका दिन की थे,पिछ्ली रतव्याणी चरों
जिन्दगी भर झेली दुख,कखन दिखण छ: सुख,
ऊं गदरों और ऊं खालों का बीच,
बण और ऊं ढोडों का बीच,
सैजान्दी नारी, म्यरा गढ की
सदानी तै,सदानी तै!!!

दीप नेगी

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

ताजा खबरें