उत्तराखंड के जंगलों में इन दिनों जंगली तौर पर पाया जाने वाले फल काफल का सीजन शुरू चल रहा है,आपको बता दें कि काफल साल में एक बार पकने वाला फल होता हैं।यह फल पहाड़ों में काफी लोकप्रिय है जिसका अंदाजा आप इसकी कीमत से ही लगाया जा सकता है, जंगली फल यानी कि काफल जिसकी बाज़ार में कीमत लगभग 500 रुपये प्रति किलो है इस हिसाब से यह पहाड़ों में बिकने वाला सबसे महंगा फल है जो सिर्फ जंगलों में ही उगता है, काफल खाने में बेहतरीन खट्टा मीठा स्वाद के साथ साथ कई औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है,जो मनुष्य के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य भी करता है।
काफल जंगली तौर पर पाया जाने वाला एक फल ही नहीं है, बल्कि हमारे शरीर में एक औषधी का काम भी करता है। काफल में विटामिन्स, आयरन और एंटी ऑक्सीडेंन्टस प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। जानकार बताते हैं कि काफल के पेड़ की छाल, फल तथा पत्तियां भी औषधीय गुणों के लिये महत्वपूर्ण जानी जाती है. काफल की छाल में एंटी इन्फलैमेटरी, एंटी-हेल्मिंथिक, एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल क्वालिटी पाई जाती है। इतने गुणों से परिपूर्ण काफल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है,साथ ही काफल के पेड़ की छाल का पाउडर जुकाम, आंख की बीमारी तथा सरदर्द में सूँधनी के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
प्रति वर्ष अप्रैल से जून माह के बीच काफल पक कर तैयार हो जाता है। काफल आर्थिक तौर पर भी स्थानीय लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होता है। काफल के कारण प्रतिवर्ष स्थानीय लोग बड़ी मात्रा में इसकी खेप को आसपास के स्थानीय बाजारों में पहुंचाकर काफी लाभ अर्जित करते हैं।
